Bedtime Stories For Kids
बच्चों के लिए मज़ेदार जानवरों की कहानियाँ
नमस्ते बच्चों!
आज हम आपको कुछ बहुत ही मज़ेदार जानवरों की कहानियाँ सुनाएंगे। इन कहानियों में आप जानवरों के बारे में बहुत कुछ सीखेंगे। आप जानेंगे कि कैसे एक चालाक लोमड़ी ने एक कौवे को धोखा दिया, कैसे एक मेहनती चींटी ने एक आलसी तितली को समझाया, और कैसे एक खरगोश ने एक कछुए से दौड़ जीतने की कोशिश की।
इन कहानियों से आप सीखेंगे कि हमेशा सच बोलना चाहिए, मेहनत करनी चाहिए और दूसरों की मदद करनी चाहिए। तो चलिए शुरू करते हैं!
चालाक बंदर और भूखा शेर
एक घने जंगल में एक चालाक बंदर रहता था। उसका नाम था चुटकी। चुटकी बहुत शरारती था और हमेशा कुछ न कुछ नया करने की सोचता रहता था।
एक दिन, चुटकी को बहुत भूख लगी। वो जंगल में इधर-उधर घूम रहा था कि उसे एक शेर दिखाई दिया। शेर बहुत भूखा था और चुटकी को देखकर उसके मुंह में पानी आ गया।
शेर ने चुटकी से कहा, “अरे चुटकी, तुम कहाँ जा रहे हो? इतने उदास क्यों लग रहे हो?”
चुटकी ने सोचा, “अगर मैं शेर से सच बताऊंगा तो वो मुझे खा जाएगा।” इसलिए उसने शेर से कहा, “मैं एक बहुत बड़ा पर्वत पर जा रहा हूं। वहां बहुत सारे मीठे फल हैं। तुम भी मेरे साथ चलो।”
शेर बहुत खुश हुआ और चुटकी के साथ चल पड़ा। रास्ते में चुटकी पेड़ों पर कूदता हुआ आगे बढ़ रहा था और शेर उसके पीछे-पीछे चल रहा था।
थोड़ी देर बाद, चुटकी एक बहुत बड़े पेड़ पर चढ़ गया। उसने शेर से कहा, “देखो, वो पर्वत तो बहुत दूर है। हमें अभी बहुत चलना है। तुम थक गए होगे, तुम यहां बैठकर आराम करो। मैं जाकर कुछ फल तोड़कर लाता हूं।”
शेर पेड़ के नीचे बैठ गया और चुटकी पेड़ से उतरकर जंगल में भाग गया।
शेर बहुत देर तक चुटकी का इंतजार करता रहा लेकिन वो वापस नहीं आया। आखिरकार, शेर को समझ में आ गया कि चुटकी ने उसे धोखा दिया है।
शेर बहुत गुस्सा हुआ लेकिन कुछ नहीं कर सका। उसने सोचा, “अगली बार किसी पर भरोसा करने से पहले बहुत सोच-समझकर काम करूंगा।”
चुटकी सुरक्षित घर पहुंच गया और उसने अपनी मां को सारी बात बताई। उसकी मां ने उसे समझाया कि झूठ बोलना गलत है।
इस कहानी से हम सीखते हैं:
- झूठ बोलना कभी अच्छा नहीं होता।
- किसी पर भरोसा करने से पहले सोचना चाहिए।
- चालाक बनने की कोशिश में हमेशा फायदा नहीं होता।
खरगोश की दौड़
एक बार की बात है, एक जंगल में एक खरगोश रहता था। उसका नाम टिंकू था। टिंकू बहुत तेज दौड़ता था। वो हमेशा घमंड करता रहता था कि वो जंगल का सबसे तेज जानवर है।
एक दिन, टिंकू को एक कछुआ दिखा। कछुआ बहुत धीरे-धीरे चलता था। टिंकू उसपर हंसा और बोला, “अरे, तू तो बहुत धीमा है! मैं तो एक झटके में तुझे पकड़ लूंगा।”
कछुआ धीरे से बोला, “शायद तुम बहुत तेज हो, लेकिन दौड़ना ही सबकुछ नहीं होता।”
टिंकू को कछुआ की बात पसंद नहीं आई। उसने कछुआ से दौड़ लगाने की चुनौती दे दी। कछुआ मान गया।
सारे जानवर दौड़ देखने के लिए जमा हो गए। शेर ने झंडी दिखाई और दौड़ शुरू हुई। टिंकू उछल-कूदकर आगे निकल गया। कछुआ धीरे-धीरे चल रहा था। सारे जानवर हंसने लगे।
लेकिन, टिंकू को थोड़ी देर बाद ही प्यास लग गई। वो एक पेड़ के नीचे बैठकर पानी पीने लगा। इस बीच, कछुआ धीरे-धीरे आगे बढ़ता रहा। जब टिंकू ने फिर से दौड़ना शुरू किया, तो कछुआ पहले ही फिनिश लाइन पार कर चुका था।
सारे जानवर ताली बजाने लगे। टिंकू शर्मिंदा हो गया। उसने कछुआ से माफी मांगी और कहा, “मुझे अपनी गलती का एहसास हो गया है। दौड़ना ही सबकुछ नहीं होता।”
तब से, टिंकू और कछुआ अच्छे दोस्त बन गए। उन्होंने सीखा कि हर कोई किसी न किसी काम में अच्छा होता है और हमें दूसरों का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए।
कहानी से सीख:
- हर कोई किसी न किसी काम में अच्छा होता है।
- दूसरों का मजाक उड़ाना अच्छी बात नहीं है।
- धैर्य रखना बहुत जरूरी है।
चालाक लोमड़ी और कौआ
एक बार की बात है, एक घने जंगल में एक लोमड़ी रहती थी। उसका नाम था शीला। शीला बहुत चालाक थी और हमेशा कुछ न कुछ नया करने की सोचती रहती थी।
एक दिन, शीला को बहुत भूख लगी। वो जंगल में इधर-उधर घूम रही थी कि उसे एक पेड़ पर बैठा एक कौआ दिखाई दिया। कौआ अपने चोंच में एक बड़ा कीड़ा पकड़े हुए था।
शीला ने सोचा, “अगर मैं कौवे से वो कीड़ा ले लूं तो मेरी भूख मिट जाएगी।”
शीला कौवे के पास गई और बोली, “कौआ भाई, तुम कितने सुंदर गाते हो। तुम्हारी आवाज सुनकर मेरा मन बहुत प्रसन्न हो गया।”
कौआ शीला की तारीफ सुनकर बहुत खुश हुआ। उसने शीला से कहा, “धन्यवाद।”
तभी शीला ने कहा, “कौआ भाई, तुम इतने सुंदर गाते हो, मैं तुम्हारी आवाज सुनकर घंटों बैठ सकती हूं। लेकिन मुझे एक बात समझ में नहीं आती कि तुम इतना बड़ा कीड़ा कैसे पकड़ पाए?”
कौआ थोड़ा घमंडी हो गया और बोला, “यह तो बहुत आसान है। मैं बहुत तेज उड़ता हूं और बहुत ही चालाक हूं।”
तभी शीला ने कहा, “वाह! तुम तो बहुत होशियार हो। अगर तुम इतने होशियार हो तो मुझे भी एक बार अपनी आवाज सुनाओ।”
कौआ शीला की बात मान गया और अपनी आवाज में ‘का-का’ करने लगा। जैसे ही कौआ अपनी चोंच खोली, शीला ने झट से उसका कीड़ा छीन लिया और भाग गई।
कौआ बहुत निराश हुआ। उसने सोचा, “अगली बार किसी की तारीफ करने से पहले बहुत सोच-समझकर काम करूंगा।”
इस कहानी से हम सीखते हैं:
- हमेशा किसी की बातों पर विश्वास नहीं करना चाहिए।
- घमंड करना अच्छी बात नहीं है।
- चालाक बनने की कोशिश में हमेशा फायदा नहीं होता।
चालाक गिलहरी और शेर
एक घने जंगल में एक चालाक गिलहरी रहती थी। उसका नाम था चिनू। चिनू बहुत चालाक थी और हमेशा कुछ न कुछ नया करने की सोचती रहती थी।
एक दिन, चिनू को जंगल में घूमते हुए एक शेर दिखाई दिया। शेर बहुत भूखा था और चिनू को देखकर उसके मुंह में पानी आ गया।
शेर ने चिनू से कहा, “अरे चिनू, तुम कहाँ जा रही हो? इतने खुश क्यों लग रही हो?”
चिनू ने सोचा, “अगर मैं शेर से सच बताऊंगी तो वो मुझे खा जाएगा।” इसलिए उसने शेर से कहा, “मैं एक बहुत बड़े पेड़ पर जा रही हूं। वहां बहुत सारे मीठे फल हैं। तुम भी मेरे साथ चलो।”
शेर बहुत खुश हुआ और चिनू के साथ चल पड़ा। रास्ते में चिनू पेड़ों पर कूदता हुआ आगे बढ़ रही थी और शेर उसके पीछे-पीछे चल रहा था।
थोड़ी देर बाद, चिनू एक बहुत बड़े पेड़ पर चढ़ गई। उसने शेर से कहा, “देखो, वो पेड़ तो बहुत दूर है। हमें अभी बहुत चलना है। तुम थक गए होगे, तुम यहां बैठकर आराम करो। मैं जाकर कुछ फल तोड़कर लाती हूं।”
शेर पेड़ के नीचे बैठ गया और चिनू पेड़ से उतरकर जंगल में भाग गई।
शेर बहुत देर तक चिनू का इंतजार करता रहा लेकिन वो वापस नहीं आई। आखिरकार, शेर को समझ में आ गया कि चिनू ने उसे धोखा दिया है।
शेर बहुत गुस्सा हुआ लेकिन कुछ नहीं कर सका। उसने सोचा, “अगली बार किसी पर भरोसा करने से पहले बहुत सोच-समझकर काम करूंगा।”
चिनू सुरक्षित घर पहुंच गई और उसने अपनी मां को सारी बात बताई। उसकी मां ने उसे समझाया कि झूठ बोलना गलत है।
इस कहानी से हम सीखते हैं:
- झूठ बोलना कभी अच्छा नहीं होता।
- किसी पर भरोसा करने से पहले सोचना चाहिए।
- चालाक बनने की कोशिश में हमेशा फायदा नहीं होता।
मेहनती चींटी और आलसी तितली
एक बार की बात है, एक जंगल में एक मेहनती चींटी रहती थी। उसका नाम था मिनी। मिनी हर दिन सुबह उठकर खाना जमा करती थी।
एक दिन, मिनी को एक आलसी तितली दिखाई दी। तितली फूलों पर बैठकर रस चूस रही थी।
मिनी ने तितली से पूछा, “तू इतनी आलसी क्यों है? तुझे खाना जमा क्यों नहीं करना चाहिए?”
तितली ने कहा, “मुझे खाना जमा करने की क्या जरूरत है? मैं तो फूलों का रस पीकर ही खुश रहती हूं।”
मिनी ने तितली को समझाया, “सर्दी के मौसम में फूल नहीं खिलेंगे और तुझे खाने के लिए कुछ नहीं मिलेगा। इसलिए तुझे अभी से खाना जमा करना चाहिए।”
लेकिन तितली मिनी की बात नहीं मानी।
सर्दी का मौसम आ गया और फूल मुरझा गए। तितली को खाने के लिए कुछ नहीं मिला। उसे बहुत भूख लगी।
तितली मिनी के पास गई और उससे मदद मांगी। मिनी ने तितली को अपना खाना दिया।
तितली ने मिनी से माफी मांगी और कहा, “मुझे अपनी गलती का एहसास हो गया है। मैं अब से कभी आलसी नहीं बनूंगी।”
इस कहानी से हम सीखते हैं:
- मेहनत करने से हमेशा फायदा होता है।
- आलसी बनना अच्छी बात नहीं है।
- दूसरों की मदद करनी चाहिए।
आज हमने कई जानवरों की मज़ेदार कहानियाँ सुनीं, है ना? इन कहानियों से हमने बहुत कुछ सीखा। हमने सीखा कि हमें हमेशा मेहनती रहना चाहिए, दूसरों की मदद करनी चाहिए, झूठ नहीं बोलना चाहिए और घमंड नहीं करना चाहिए।
तुम्हें कौन सी कहानी सबसे ज्यादा पसंद आई? क्यों?
कभी-कभी हम भी जानवरों की तरह कुछ न कुछ गलतियाँ कर देते हैं। लेकिन इन कहानियों से हम सीख सकते हैं कि कैसे इन गलतियों को सुधारा जा सकता है।
चलिए अब सो जाओ, कल और भी मज़ेदार कहानियाँ सुनेंगे।
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